नवरात्रि का पर्व हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। यह नौ दिनों तक देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की उपासना का विशेष अवसर होता है। इस दौरान शक्ति की उपासना कर भक्तजन आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। मां ब्रह्मचारिणी ज्ञान, तपस्या और वैराग्य का प्रतीक मानी जाती हैं। इस लेख में हम जानेंगे कि नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की कथा, उनकी पूजा विधि, मंत्र और इस दिन का शुभ रंग क्या होता है।
Brahmacharini
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Toggleमां ब्रह्मचारिणी देवी दुर्गा के नवस्वरूपों में से दूसरा स्वरूप हैं। उनके नाम में ‘ब्रह्म’ का अर्थ है तपस्या और ‘चारिणी’ का अर्थ है आचरण करने वाली। इस प्रकार, मां ब्रह्मचारिणी का नाम ही उनके चरित्र को दर्शाता है कि वे घोर तपस्या की अधिष्ठात्री देवी हैं।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां ब्रह्मचारिणी ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठिन तपस्या की थी। उन्होंने हजारों वर्षों तक केवल फल-फूल खाकर और बाद में सूखे पत्ते तक छोड़कर तपस्या की थी। अंततः उनकी कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया।
मां ब्रह्मचारिणी की उपासना से जीवन में धैर्य, त्याग और तपस्या की शक्ति प्राप्त होती है। वे साधकों को संयम और सच्ची भक्ति का आशीर्वाद देती हैं।
“ॐ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नमः।”
“या देवी सर्वभूतेषु ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।”
“वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्। जपमाला कमण्डलु धरा ब्रह्मचारिणी शुभाम्॥”
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से साधक को संयम, धैर्य और आत्मसंयम की प्राप्ति होती है। यह पूजा उन लोगों के लिए विशेष रूप से लाभकारी मानी जाती है जो जीवन में संयम, साधना और ज्ञान की ओर अग्रसर होना चाहते हैं। मां ब्रह्मचारिणी की कृपा से व्यक्ति के भीतर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और मानसिक शांति प्राप्त होती है।
मां ब्रह्मचारिणी की उपासना करने से जीवन में आने वाली कठिनाइयों से पार पाने की शक्ति मिलती है। वे साधकों को आत्मज्ञान और सिद्धि प्रदान करती हैं।
नवरात्रि के प्रत्येक दिन एक विशेष रंग को महत्व दिया जाता है। मां ब्रह्मचारिणी की पूजा के दिन सफेद रंग को शुभ माना जाता है। सफेद रंग शांति, पवित्रता और ध्यान का प्रतीक है। इस दिन भक्तों को सफेद रंग के वस्त्र पहनने चाहिए और पूजा में सफेद पुष्प अर्पित करने चाहिए।
नवरात्रि का दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी की उपासना के लिए समर्पित है। उनकी पूजा से भक्तों को धैर्य, आत्मसंयम और ज्ञान प्राप्त होता है। मां ब्रह्मचारिणी की कथा हमें यह सिखाती है कि कैसे कठिन साधना और तपस्या से किसी भी लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। उनकी कृपा से साधक को न केवल आध्यात्मिक उन्नति मिलती है, बल्कि जीवन की कठिनाइयों से लड़ने की शक्ति भी प्राप्त होती है।
इस दिन सफेद रंग पहनकर, मां ब्रह्मचारिणी के मंत्रों का जाप करके और सच्चे मन से उनकी पूजा करके आप अपने जीवन में शांति, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का संचार कर सकते हैं।
जय माता दी!